विश्व के इतिहास में बहुत से ऐसी संधिया हुई है या तो कराई गई है जिनका ज़िक्र सबसे पहले होता हैं. उनमें से एक हैं वर्साय की संधि. जिसे प्रथम युद्ध के समापन के बाद मित्र राष्ट्रों ने मन मानी तरीके से जर्मनी पर थोपी थी. ये संधि में कई भी शांति की व्यवस्था नहीं थी बल्कि इसमें असंतोष और निराशा थी. जिसकी वजह से 20 साल 2 महीने 4 दिन के बाद ही पूरा विश्व एक और विनाशकारी युद्ध के चपेट में आ गया जिसे मानव इतिहास में दूसरे विश्व युद्ध के नाम से जाना जाता हैं.
वर्साय की संधि
प्रथम विश्व युद्ध के ख़त्म होने के बाद ट्रिपल एलायंस यानी जर्मनी और ऑस्ट्रिया की हार हुई और इसके बाद मित्र राष्ट्रों ने मिलकर वर्साय की संधि के लिए जर्मनी को जबरदस्ती राज़ी कर लिया. 28 जून 1919 को जर्मनी ने वर्साय की संधि पर साइन किये.
इस संधि को बनाते समय कभी भी जर्मनी को शामिल नहीं किया गया और इसके कारण इस संधि की शर्ते एक तरफ थी. इस संधि पर साइन करने के बाद जर्मनी को बहुत भरी नुक्सान हुआ उसकी एक बहुत बड़ी भूमि मित्र राष्ट्रों ने ले लिया और उस पर कुछ इस प्रकार की पाबंदियां लग दी..
1. जर्मनी किसी भी राज पर हमला करके उन्हें अपना उपनिवेश या गुलाम नहीं बनाएगा.
2. जर्मनी एक निश्चित सेना ही रखे गया और वो अपने सेना में बढ़ोत्तरी नहीं करेगा.
3. जर्मनी परमाणु हथियारों का परीक्षण नहीं करेगा.
4. ये संधि अपमानजनक और प्रतिशोध से भरी हुई थी. मित्र राष्ट्रों ने जन बूझकर ये संधिया गीरमणी से जबरदस्ती मनवाई थी जिसकी वजह से आगे चलकर दूसरा विश्वयुद्ध हुआ.
हिटलर और वर्साय की संधि
जर्मनी जब हिटलर के कंट्रोल में आया तब उसने वर्साय की अपमान जनक संधि के सभी एक तरफ और जबरदस्ती थोपी गई शर्तों को नज़र अंदाज़ करके जर्मनी की सैन्य वृद्धि करने लगा. उसने ऑस्ट्रिया को अपने अधीन कर लिया और धीर धीरे उसने इस अपमान का बदला लेना शुरू किया. हिटलर ने राईनलैंड ऑस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया को अपना उपनिवेश बना लिया.
इसके बाद उसने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया जिसके बाद से दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया.