भगवान शिव बहुत ही दयालु है और उनकी दयालुता के बहुत से प्रसंग है. इसी में से एक सबसे ज्यादा प्रचलित प्रसंग हैं, महादेव और उनके भक्त भस्मासुर की. कैसे महादेव जी एक बार अपने एक वरदान की वजह से खुद ही मुसीबत में फँस गए थे? वरदान मिलने के बाद भस्मासुर ने भगवान शिव को ही भस्म करने के लिए उनके पीछे पड़ गया. तो पहले पूरी कहानी जानते है फिर जानते हैं कैसे भगवान शिव उससे बचे?
ये बात सतयुग की है, जब एक दिन भगवान शिव के एक भक्त ने उनकी घोर तपस्या करके महादेव को प्रसन्न कर लिया. कई वर्षों की घनघोर तपस्या के बाद महादेव ने भस्मासुर को मनोवांछित मांगने का को कहा. उसने महादेव से कहा, '' प्रभु मुझे एक ऐसा वरदान दे दीजिये जिससे मैं अगर किसी को भी चाहु तो उसे छूकर भस्म कर सकूं.'' महादेव ने तथास्तु कहकर अंतर्ध्यान हो गए.
इसके बाद भस्मासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया. सभी लोग उसके अत्याचार से परेशान हो गए. सभी देवता इसके लिए ब्रह्म जी के पास गए लेकिन भगवान ब्रह्म ने उन सभी को श्रीहरि विष्णु के पास भेज दिया. इसी बीच भस्मासुर ने अपने अहंकार और शक्ति के नशे में चूर होकर एक दिन महादेव को ही भस्म करने के लिए कैलाश आ गया. भगवान शिव अगर चाहते तो वो उसे उसी क्षण भस्म कर देते लेकिन उस समय वो उससे बचकर वहाँ से भाग खड़े हुए. इसके बाद श्रीहरि विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर उसे नृत्य के लिए विवश किया और नाचते नाचते उसने अपने ही ऊपर हाथ रख दिया और खुद ही जल के भस्म हो गया.