हम सबको ये पता है और हमारे धर्म-ग्रंथों में भी इसका वर्णन है कि महादेव शिव शंकर कैलाश पर्वत पर ही रहते थे. यहीं वो स्थान है जहाँ भगवान शंकर अपनी पत्नी पार्वती के साथ रहते थे. लेकिन क्या आपको ये पता है की भगवान शंकर आज भी कैलाश पर मौजूद है? आख़िर क्यों कोई पर्वतारोही कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पता? आख़िर कौन सी शक्ति उन्हें ऐसा करने से रोकती हैं?
कैलाश पर्वत दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वत कहे जाने वाले माउंट एवेरेस्ट से 2200 मीटर कम ऊँचा है, इसकी ऊंचाई 6600 मीटर है जबकि माउंट एवेरेस्ट 8800 मीटर ऊँचा है. जिसपर आज तक 7 हज़ार से ज्यादा लोगों सफलता पूर्वक चढ़ाई की है लेकिन कैलाश पर आज तक कोई भी नहीं चढ़ पाया.
कई सारे पर्वतारोहियों ने कई बार कोशिश की लेकिन निराश होकर वापस आ गए. कैलाश पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक ह्यूरतलीज ने तो इसपर चढ़ना असम्भव बताया हैं.
रूस के पर्वतारोही सरगे सिस्टियाकोव के अनुसार , जब मैं पर्वत के बिल्कुल पास पहुंच गया तो मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा. मैं उस पर्वत के बिल्कुल सामने था, जिस पर आज तक कोई नहीं चढ़ सका. अचानक मुझे बहुत कमजोरी महसूस होने लगी और मन में ये ख्याल आने लगा कि मुझे यहां और नहीं रुकना चाहिए. उसके बाद जैसे-जैसे हम नीचे आते गए, मन हल्का होता गया.'
एक और पर्वतारोही कर्नल आर.सी. विल्सन के मुताबिक जैसे ही मुझे लगा की मैं सीधे रास्ते से कैलाश पर चढ़ सकता हूँ तभी अचानक से भयानक बर्फ़बारी होने लगी और हमारा रास्ता जाम हो गया.
रूस के वैज्ञानिकों का मानना है कि कैलाश एक मानव निर्मित पिरामिड हो सकता है जिसका निर्माण एक दैवीय शक्तियों वाले किसी इंसान ने किया हो.
जो भी कैलाश पर जाता है उसे दिशा भ्रम हो जाता, यहाँ पर कम्पास भी काम नहीं करता हैं.
कैलाश पर दो मानसरोवर झील है, एक ब्रह्म मानसरोवर और दूसरा राक्षसी मानसरोवर. ब्रह्म मानसरोवर का जल मीठा है जबकि राक्षसी वाले का खारा हैं. मानसरोवर के दोनों झीलों में में से ब्रह्म झील सकारात्म ऊर्जा का स्रोत है जबकि राक्षसी नकारात्मक ऊर्जा का.
वैज्ञानिक स्टडी के मुताबिक कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कैलाश ब्रह्मण्ड का केंद्र बिंदु हैं जिसका स्लोप 65 डिग्री है जो इसकी चढ़ाई को और मुश्किल बना देती है. जबकि एवेरेस्ट माउंटेन की 40-60 ही हैं.
जब भी यहाँ पर बर्फ पिघलती है तब पूरे क्षेत्र में डमरू की आवाज़ सुनाई देती हैं जिससे ये माना जाता है कि भगवान शिव साक्षात यहाँ पर विराजमान हैं.
कुछ पर्वतारोहियों का ये भी कहना है कि कैलाश पर चढ़ने के दौरान आपके बाल और नाख़ून बहुत जल्दी जल्दी बढ़ते हैं.
कैलाश पर्वत पर वही चढ़ सकता है जिसने कभी कोई पाप नहीं किया हो इसलिए भी लोग मानते है कि अभीतक कोई इसकी चढ़ी पूरी नहीं कर पाया हैं.