हिन्दू धर्म में भगवान शिव की बहुत ही महिमा है,देवता, दांव, नाग, किन्नर, गन्धर्व और मानव हर जाति के लोग महादेव की उपासना करती हैं. उनकी सच्चे निष्ठा भाव से पूजा अर्चना करते हैं. शिव शंकर महादेव, भोलेनाथ, भूतनाथ, रुद्रदेव और महाकाल आदि कई नामों से इनको पुकारा जाता हैं. भगवान शंकर सच में बहुत ही दयालु और भोले हैं. इसलिए ये भी कहा जाता है कि उनको प्रसन्न करना सबसे असंही और वो आपकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं.
भगवान शिव को सबसे ज्यादा या तो सावन मास में पूजा जाता है या फिर फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती हैं. वैसे तो शिव रात्रि हर महीनें आती है लेकिन महाशिव रात्रि साल में एक बार ही आता हैं. जिसके लिए शिव के उपासक भक्तगण विधिवत पूजा अर्चना ाकरते है, उनके लिए व्रत आदि करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है?
महाशिवरात्रि मनाने के पीछे कई सारी कहानियाँ प्रचलित है,कई सारे उपनिषदों और पुराणों में इसके अलग-अलग वर्णन मिलते है. कुछ के अनुसार ये महादेव के लिंग रूप में उत्पन्न होने की रात्रि है तो कुछ के अनुसार ये महादेव और देवी सती के विवाह की रात भी कहा जाता हैं.
इसके पीछे दो कहानी सबसे प्रमुख मानी जाती है, जिनमें से शिवमहापुराण में वर्णित है तो दूसरी लिङ्गपुराण में.
पहली कथा
एक दिन भगवान श्री हरि विष्णु और ब्रह्मा एक दूसरे से इस बात को लेकर बहस करने लगे कि उन दोनों में से सबसे श्रेष्ठ कौन हैं? चूँकि ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता हैं इसलिए उन्होंने खुद को श्रेष्ठ बताया. तो वहीं दूसरी तरफ भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार होने के नाते अपने को श्रेष्ठ कहने लगे.
इसी बीच अचानक एक ज्योतिप्रकाश वहाँ प्रकाशित हुई और उसमें से एक दिव्य स्वर सुनाई दी. स्वर ने कहा, जो भी तुम दोनों में से मेरे अंतिम छोर का पता लगा लेगा वहीं सर्वश्रेष्ठ कहलाएगा.ब्रह्मा जी हंस बनकर ऊपर आकाश की ओर और विष्णु जी वराह का अवतार लेकर नीचे धरती और पाताल लोक की और चल दिए.
लेकिन किसी को भी इस का छोर नहीं मिला और अंत में भगवान शंकर स्वयं प्रकट हुए और उन्होंने बताया की ये उनका लिङ्गस्वरूप है और इसी कारण से भगवान शिव के जन्म के तौर पर महाशिवरात्रि मनाया जाता हैं.
दूसरी कथा
दूसरी कथा शिवमहापुराण के अनुसार है, जिस दिन भगवान शिव और देवी सती का विवाह हुआ था उस दिन को ही शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता हैं. लोगों का मानना है कि इसी दिन शिव और शक्ति का मेल हुआ था जिसके कारण इसे शिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता हैं.