अगर आप से कोई ये कहे की भारत में एक ऐसा मंदिर है जहाँ पर भगवान की मूर्ति को पसीना आता हैं. क्यों हैरान हो गए न? अब आपको लग रहा होगा की ये सब बकवास हैं. लेकिन वास्तव में ये कोई मज़ाक नहीं बल्कि हक़ीक़त है. भारत विश्व का अकेला एक ऐसा देश है जहाँ पर समय-समय पर भगवान स्वयं अवतरित हुए हैं और आम जन मानस का कल्याण किया हैं.
इसी के साथ-साथ भारत में जिन स्थानों पर भगवान के जन्म लेने की मान्यता है वहाँ पर इससे सम्बन्धित कई सारे ऐसे रहस्य मौजूद है जिनको आज तक नासा के वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा सके हैं. ऐसे ही एक चमत्कारी मंदिर है भगवान तिरुपति बाला जी का.
तिरुपति बालाजी का मंदिर ऐसे ही कई सारे अनसुलझे रहस्यों से भरा हुआ हैं. जिससे जुड़ी कुछ रहस्यमयी तथ्यों के बारे में आप नहीं जाते होंगे.
कहाँ है तिरुपति बालाजी का मंदिर?
तिरुपति वैंकटेश्वर बालाजी का ये मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है. तिरुपति बाला जी को भगवान श्रीहरि का ही एक रूप माना जाता हैं. ऐसी मान्यता है भगवान विष्णु ने स्वयं यहाँ पर अवतार लिया था, इसलिए यहाँ की मूर्ति किसी ने बनवाई नहीं बल्कि स्वयं प्रकट हुई थी. तिरुपति वैंकटेश्वर का ये मंदिर तिरुमाला की सात पहाड़ियों की सातवीं पहाड़ी पर स्थित हैं. मान्यता है कि भगवान विष्णु के शेषनाग के सात फनों के आधार पर इन्हें सप्तगिरि की पहाड़ियाँ भी कहते हैं.
इस मंदिर की महिमा इतनी है की यहाँ पर हर रोज एक लाख से ज्यादा लोग दर्शन के लिए आते है.
यहाँ के बारे में 10 ऐसे रहस्य है जिनको अभी तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाएं है. ये रहस्य इस प्रकार है....
- तिरुपति बाला जी मंदिर की जो मूर्ति है उसके बाल एकदम असली बाल है जैसे मनुष्यों के होते हैं. ये कभी उलझते नहीं और हमेशा मुलायम रहते हैं. लोगों का मानना है कि भगवान तिरुपति स्वयं यहाँ पर विराजमान है. इसलिए ऐसा है.
- मंदिर की मूर्ति पर कान लगाकर सुनने पर समुद्र की लहरों की ध्वनि साफ़ सुनाई देती है और इसी वजह से मंदिर की मूर्ति हमेशा नम रहती हैं.
- बालाजी मंदिर के मुख्य द्वार के दाई और एक छड़ी है. लोगों के अनुसार इसी से भगवान की बचपन में पिटाई हुई थी और जिसकी वजह से उनके ठुड्डी के पास चोट आ गई थी जिसके निशान आज भी मौजूद है. हर शुक्रवार को भगवान को चंदन का लेप लगाया जाता है, जिससे उनका घाव भर सके.
- इस मंदिर में एक अलौकिक दिया है जो सदियों से बिना किसी तेल और घी के जलता है. इसमें कभी किसी प्रकार का तेल, घी या कोई अन्य ज्वलनशील पदार्थ नहीं डाला जाता इसके बावजूद भी ये दिया जलता रहता है.