माता वैष्णों की हिन्दू धर्म में बहुत ज्यादा मान्यता है. हर साल जम्मू प्रदेश के कटरा शहर के त्रिकुटा पहाड़ों के बीचों बीच स्थित माँ वैष्णों देवी का धाम हैं. जहाँ पर हर साल लाखों करोड़ों लोग दर्शन के लिए जाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि माँ वैष्णों यहाँ इस गुफा में क्या कर रही है? आख़िर कई सालों से ये यहीं पर ही विराजमान है? वास्तव में माँ वैष्णों साक्षत इस गुफा में निवास करती हैं.
रामयण धर्म ग्रन्थ की कथाओं के अनुसार वो प्रभु श्रीराम की प्रतीक्षा कर रही है जिन्होंने उनसे विवाह करने का वचन दिया था. तो आखिर वो कौन सी कहानी है जिसकी वहज से माँ वैष्णों देवी यहाँ पर आकर बस गई?
माँ वैष्णों क उत्पत्ति सतयुग के अंत और त्रेतायुग के आरम्भ में हुआ था और उन्होंने राक्षसों के संहार के लिए अवतार लिया था. कालांतर में जब भगवान श्रीराम माँ सीता की खोज में दर दर भटक रहे थे तब इनकी मुलाक़ात उन से एक समुद्र के किनारे हुई और माँ वैष्णों ने भगवान राम को पहचान लिया कि वो साक्षात नारायण है. इसके बाद उन्होंने उनसे विवाह करने का प्रस्ताव रखा. तब श्रीराम ने उनसे वादा किया मैं अपनी अर्धांगिनी सीता की तलाश में हु लेकिन जब मैं अपना वनवास पूर्ण करके वापस लौटूंगा तब अगर आप ने मुझे पहचान लिया तो मैं आपको स्वीकार लूंगा.
कई साल बीत गए माँ वैशानि इंतज़ार करती रही. 14 साल बाद जब श्रीराम लंका विजय करके वापस अयोध्या लौट रहे थे तब माँ वैष्णों के पास गए. वैष्णों देवी ने देखा की एक वृद्ध व्यक्ति उनके पास खड़ा है और उनसे विवाह करने को कहा रहा हैं. तब माँ वैष्णों ने उन्हें बिना पहचाने मना कर दिया और कहा, '' मैं अपने स्वामी श्रीराम की प्रतीक्षा कर रही हूँ वो मुझे लेने आएंगे.''
कुछ क्षणों के बाद उनको आभास हुआ की वो मनुष्य ही श्रीराम है और तब प्रभु श्रीराम ने कहा, '' देवी अभी तुमने मुझे ना पहचानकर ये सिद्ध कर दिया कि अभी तुम्हें अपनाने का सही वक़्त नहीं आया हैं. इसलिए हे देवी आप मेरा अभी और इंतज़ार कीजिये और कालांतर में कलयुग में मैं कल्कि अवतार लूंगा तब उस समय मैं आप से विवाह करके आपको अपनी अर्धांगिनी बनाऊंगा और उस दिन आपकी तपस्या पूर्ण हो जाएगी.''
इसके बाद माँ वैष्णों वहाँ से जम्मू के इस त्रिकुटा पहाड़ियों के बीचों बीच चली आई और कल्कि अवतार का इंतज़ार कर रही हैं.