हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीहरि विष्णु कलियुग के अंत समय में अपने दशवें अवतार में अवतरित होंगें और पृथ्वी पर बढ़ गए पाप और अधर्म का नाश करेंगे. भगवान विष्णु के इस अवतार का विधिवत वर्णन 18 पुराणों में मिलता हैं. महर्षि वेदव्यास ने कल्कि अवतार का वर्णन महाभारत और विष्णु महापुराण में भी किया हैं. लेकिन यहाँ पर एक सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर वो 7 महापुरुष कौन है जो कई हज़ार वर्षों से,
कई युगों से भगवान विष्णु के इस अवतार की प्रतीक्षा कर क्यों कर रहें है? उन्हें इस अवतार की से क्या प्राप्त होगा? हिन्दू पुराणों और श्रीमद्भागवत गीता में में कुछ ऐसे महापुरुषों का वर्णन भी मिलता है जो अमर कहे गए है और वो आज भी कलियुग में इस पृथ्वी लोक में मौजूद है और एहि सात लोग श्री नारायण के उस कल्कि अवतार की प्रतीक्षा कर रहे है.
भगवान परशुराम
भगवान पशुराम श्रीहरि विष्णु के छठें अवतार कहे जाते है. जिनका जन्म सतयुग में महर्षि जमदाग्निन के घर हुआ था. भगवान परशुराम महाभारत के महान योद्धों जैसे पितामह भीष्म, द्रोणाचार्य और दानवीर कर्ण के गुरू भी रहे. परशुराम जी अमर कहे गए है और वो सतयुग भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की प्रतीक्षा कर रहे है और जब ये कल्कि अवतार होगा उसके बाद ये उनके अंदर समा जायेंगे.
महाबली हनुमान जी
हनुमान जी प्रभु श्रीराम के बहुत बड़े भक्त और अनन्य सेवक थे. रामायण के अनुसार जब राम जी धरती लोक से बैकुण्ठ चले गए तब भगवान हनुमान को कलियुग की सारी जिम्मेदारी देकर गए. उन्होंने हनुमान को कलियुग का भगवान बनाकर उनसे कुछ वचनों की पूर्ति की लिए उन्हें यहीं धरती पर कलियुग के अंत तक रुकने का वरदान दिया हैं. हनुमान जी भगवान शिव के रूद्रावतारों में से एक माने जाते है और जब कल्कि अवतार होगा और एक बार फिर वो भगवान श्री राम के दर्शन कर लेंगे तब वो वापस शिव शंकर में समाहित हो जायेंगे.
अश्वथामा
अश्वथामा महाभारत का एक बहुत ही महान योद्धा था. वो करवों और पांडवों के गुरू द्रोणाचार्य का इकलौता पुत्र भी था. महाभारत युद्ध के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने उसे ब्रह्मास्त्र चलने की वजह से उसे कलियुग के अंत तक भटकने का श्राप दे दिया था. तब से लेकर आज तक वो भी भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का इंतज़ार कर रहें ताकि उन्हें जल्दी इस श्राप से मुक्ति मिले और वो बैकुंठ जा सके.
राजा बाली
तमिलनाडु के महान राक्षस राज महाबली बाली भी भगवान कल्कि का इंतज़ार कर रहें है. जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर तीन पग में पूरा ब्रह्मण्ड नाप दिया था उन्होंने बाली को पाताल लोक भेज दिया था और उन्हें साल में एक बार अपने राज्य में आने की इज़ाज़त दिया. तब से केवल एक बार बाली अपने राज्य में आते है और इस दिन को केरला और दक्षिण भारत में ओणम के रूप में मानते है. राजा बाली भी मुक्ति के लिए कल्कि अवतार की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
लंका के राजा विभीषण
लंका विजय के बाद श्रीराम ने विभीषण को वहाँ का राजा बनाया और खुद वापस अयोध्या लौट आये. जब भगवान खुद बैकुण्ड जाने लगे तब विभीषण ने साथ चलने की इच्छा व्यक्त किया. तब राम भगवान ने उन्हें कलियुग तक अपने अगले अवतार तक प्रतीक्षा करने को कहा और साथ ही साथ इंसानों और राक्षस प्रजाति में आपसी तालमेल बिठाने की जिम्मेदारी दी.
भगवान वेदव्यास
18 पुराण, 4 वेदों,महाभारत और श्रीमद्भगवतगीता को लिखने वाले भगवान वेदव्यास त्रिकाल दर्शी और अमर थे इसलिए वो भी भगवान कल्कि का इंतज़ार कर रहें है और उस अवतार का प्रत्यक्ष दर्शन करना चाहते है इसलिए अभी भी तपस्या कर रहें है.
कुलगुरू कृपाचार्य
कुलगुरू कृपाचार्य पांडवों के कुलगुरू और अश्व्थामा के मामा थे. वो भी अमर थे और भगवान कल्कि की प्रतीक्षा कर रहें है.