राजा नहुष को क्यों सप्तऋषियों ने दिया अजगर बनने का श्राप?

राजा नहुष को क्यों सप्तऋषियों ने दिया अजगर बनने का श्राप?

एक बार ऋषि दुर्वाशा स्वर्गलोक गए तब वहाँ पर उनका सही से आदर-सत्कार नहीं हुआ और उन्होंने देवराज इंद्र को शक्तिविहीन होने का श्राप दे दिया. उसके बाद इंद्र की सारी शक्तियाँ चली गई और उसी समय दैत्यों ने आक्रमण कर दिया. इंद्र को अपनी जान बचकर भागना पड़ा इसके बाद वो कहीं पर जाकर छुप गए. इधर देवलोक का सिंहासन खाली हो गया था जिसके बाद वहाँ पर दानवों का आक्रमण बढ़ गया.

 सभी देवताओं ने सप्त ऋषियों के कहने पर पृथ्वी लोक के बहुत ही धर्म परायण और साहसी सम्राट को देवराज का पद दे दिया. नहुष ने दानवों को हरा दिया और देवलोक में सुख पूर्वक राज करने लगे. लेकिन कुछ दिनों बाद ही वहाँ की सुख-सुविधाओं की वजह से उनका मति भ्रष्ट हो गया और उन्होंने इंद्र की धर्मपत्नी शची से विवाह करने का प्रस्ताव दिया लेकिन उन्होंने मना कर दिया और वो देवगुरू बृस्पति के पास मदद के लिए चली गई. देवगुरू ने उनसे कहा तुम नहुष से कह दो अगर वो एक ऐसी डोली में बैठकर आएंगे जिसके कहार सप्त ऋषि होंगे तब ही मैं आपसे विवाह करुँगी. ये बात नहुष को पता चली तो उन्होंने सप्त ऋषियों को कहार बनाकर डोली में बैठकर शची से मिलने चल दिए. सप्त ऋषि बहुत धीरे-धीरे चल रहे थे और नहुष को गुस्सा आ गया और इसके बाद उन्होंने अगस्त्य ऋषि को लात मार दी. जिसके बाद उन्होंने मुझे श्राप दे दिया  “मूर्ख! तेरा धर्म नष्ट हो और तू दस हज़ार वर्षों तक सर्पयोनि में पड़ा रहे.” नहुष तुरंत एक विशालकाय अजगर बनकर धरती पर आ गिरे. 

इसके बाद जब कालांतर में द्वापर युग में पांडव अपने वनवास पर थे तब उनकी मुलाकात इनसे हुई और इन्होंने भीम को अपने अंदर जकड़ लिया और उसे अपना भोजन बनाने लगे. तब युधिष्ठिर के कहने पर इन्होंने भीम को जाने दिया और युधिष्ठिर ने उनके सभी प्रश्नों का उत्तर देकर राजा नहुष को श्राप से मुक्ति दिलाई.