भारत के केरल राज्य के तिरुवनन्तपुरम में भगवान विष्णु का एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर स्थित है जिसमें इतना खज़ाना है की पूरे भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारा जा सकता हैं. ये दुनिया का सबसे ज्यादा धनी मंदिर हैं. इस मंदिर के गर्भ गृह में कुल सात दरवाज़े है जिन्हें A, B, C, D, E और F का नाम दिया गया. ये दरवाज़े कई सालों से बंद है और ऐसा कहा जाता ये सारे ख़ज़ाने इसी के पीछे हैं.
साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट के कहने पर मंदिर का एक दरवाज़ा खोला गया और उसमें से लाखों-करोड़ों के हीरे-जवाहरात, सोने-चांदी और बहुमूल्य ख़ज़ाने देखने को मिले. इस मंदिर के सातवें दरवाज़े को शापित माना जाता है, जिसके ऊपर दो नागों की प्रतिमा बनी हुई है और फ़ोब मैगज़ीन ने एक आर्टिकल में ज़िक्र किया है कि ,इस दरवाज़े के उस पार का खज़ाना अगर मिला दिया जायें तब इस मंदिर की पूरी सम्पत्ति 75 लाख करोड़ रुपए से कहीं ज्यादा होगी. अभी मंदिर के पास 2 लाख करोड़ की सम्पत्ति है जिस पर त्रावणकोर शाही परिवार का हैं.
पद्मनाभस्वामी मंदिर का निर्माण
इस मंदिर का निर्माण 6वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजा मार्तण्ड वर्मा ने करवाया था और आज भी ये मंदिर ज्यों का त्यों दिखाई देता हैं. ऐसा कहा जाता है, राजा ने खुद को पद्मनाभस्वामी का सेवक बता करके अपनी पूरी सम्पत्ति इस मंदिर के तहख़ाने में बने 7 दरवाज़ों के पीछे रखकर भगवान को समर्पित कर दिया था. जिसमें से अभी तक सात दरवाज़ों को खोला गया हैं. लेकिन सातवें दरवाज़े को अभी तक नहीं खोलो गया हैं और धार्मिक आस्था को मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दिया हैं.
सातवें दरवाज़े के शापित होने की कहानी
राजा मार्तण्ड वर्मा के वंशज का मानना है कि, '' अगर मंदिर का ये आख़िरी दरवाज़ा खुला तो प्रलय आ जायेगा. जो चीज़ें राज़ है उसे राज ही रहने दे. यहाँ तक मानना है कि इस दरवाज़े पर जो नाग बने है वहीं इसकी रक्षा करते है और इस दरवाज़ें को नाग पाशम मंत्रों से बंद किया गया था. इसलिए इसे सिर्फ़ गरुड़ मंत्रों के सही उच्चारण से ही खोला जा सकता है और अगर मंत्रों का उच्चारण ग़लत हुआ तो जान भी चली जाएगी. अभी तक कोई भी ऐसा सिद्ध पुरुष न सिर्फ भारत में बल्कि सम्पूर्ण पृथ्वी पर पाया गया जो इस दरवाज़े को मंत्रों से खोल सके.
साल 1931 में एक बार इसे खोलने की कोशिश की गई थी तब हज़ारों नागों ने आकर इस दरवाज़ें को घेर लिया था और लोगों को जान बचाकर भागना पड़ा था.