हिन्दू धर्मग्रंथों और पुराणों में समुन्द्र मंथन का जिक्र मिलता है कि कैसे भगवान विष्णु के कहने पर देवताओं और राक्षसों ने एक साथ मिलकर समुन्द्र मंथन किया जिसमें से कई सारे बहुमूल्य रत्न और वस्तुएं निकली. लेकिन बहुत काम लोग है जो उन रत्नों और वस्तुओं के बारे में जानते है. समुन्द्र मंथन से 14 अलग-अलग वस्तुएं निकली थी. जिनमें से अधिकतर लोग सिर्फ हलाहल विष और अमृत के बारे में ही जानते है. तो आइये जानते है इन दोनों के अलावा और कौन-कौन सी वस्तुएं समुन्द्र मंथन के उपरांत निकले थे और उसे किन-किन लोगों ने लिया था?
देवताओं और दानवों ने जब समुन्द्र को मथना शुरू किया तब उसमें से ये 14 वस्तुएं निकली थी जो इस प्रकार से है...
1. हलाहल विष
समुन्द्र मंथन से सबसे पहले हलाहल विष निकला था जिससे सम्पूर्ण सृष्टि का विनाश हो सकता था. इसलिए सभी देवताओं और ऋषि-मुनियों ने देवों के देव महादेव की प्रार्थना की और उन सभी के कहने पर महादेव ने उस हलाहल विष को अपने कंठ में धारण कर लिया जिससे उनका कंठ नीला हो गया और उनका नाम पड़ा नीलकंठ.
2.उच्चैश्रवा घोड़ा
समुन्द्र मंथन से दूसरा बहुमूल्य वस्तु एक घोड़ा निकला था. जिसका नाम था उच्चैश्रवा, जो सफेद रंग का सबसे खूबसूरत घोड़ा था जिसके सात मुख थे. इस घोड़े को सबसे पहले राजा बलि ने ले लिए था उसके बाद इसे देवताओं के राजा देवराज इंद्र के आप आ गया. बाद में तारकसुर ने इसे इंद्र से छींन लिया और उसे हराकर एक बार फिर ये इंद्र के आप आ गया. श्रीमद्भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण गीता के उपदेश में अपनी तुलना अश्वों में श्रेष्ठ उच्चैश्रवा से करते है.
3. ऐरावत हाथी
भगवान इंद्र का वाहन ऐरावत हाथी भी समुन्द्र मंथन से निकला था. जो सफेद रंग का, दिव्य शक्तियों से युक्त हाथी था. इसे देवराज इंद्र को दिया गया.
4. कौस्तुभ मणि
समुन्द्र मंथन से चौथी बहुमूल्य वस्तु कौस्तुभ मणि निकली थी. जिसे भगवान श्रीहरि विष्णु ने धारण किया था. ऐसा माना जाता है कि ये मणि अब केवल इच्छाधारी साँपों के पास ही पाया जाता है. गरुण के त्रास से कालिया नाग को जब श्रीकृष्ण ने उसे मुक्ति दिलाई दी तब उसने उन्हें ये मणि दी थी. लोगों के मान्यताओं के अनुसार ये मणि अभी भी पृथ्वी पर मौजूद है. जब द्वारका नगरी जल मग्न हुई तब ये भी उसी के साथ डूब गया था.
5. कामधेनु गाय
समुन्द्र मंथन से कामधेनु गाय भी निकली थी. इसे लोक कल्याण के लिए ऋषियों को दे दिया गया था. महर्षि जमदग्नि से ये गाय छीनकर राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन ने उनका वध कर दिया था. तब भगवान परशुराम ने उनको मार कर 21 बार पृथ्वी को क्षत्रियें विहीन कर दिया था.
6. पारिजात पुष्प
पारिजात का पुष्प भी समुन्द्र मंथन से निकला था. जो बहुत ही सुगन्धित होता है और इसकी पत्तियों आयुर्वेद में काम आती है. इसलिए देवताओं ने इसे अपने पास ही रखा.
7. देवी लक्ष्मी
माँ लक्ष्मी की उत्पति भी समुन्द्र मंथन से हुई थी. सभी देवता और दानव चाहते थे कि वो उनको मिले. लेकिन देवी ने भगवान विष्णु को चुना और उनसे विवाह किया.
8. अप्सरा रम्भा
देवलोक की सबसे सुन्दर अप्सरा रम्भा की उत्पति समुन्द्र मंथन से हुआ था. जो एक कुशल नृत्यांगना थी इसलिए इन्हें देवलोक भेज दिया गया.
9. कल्पवृक्ष
कल्पवृक्ष को कल्पतरु भी कहते हैं. इसे देवराज इंद्र के स्वर्ग लोक में लगाया गया. स्कंदपुराण और विष्णु पुराण में इसे ही पारिजात का वृक्ष भी कहते हैं.
10. वारुणी देवी
सुरा यानी मदिरा लिए हुए वारुणी देवी की उत्पति भी हुई जिसे भगवान विष्णु के कहने पर असुरों को दे दिया गया. ताकि वो इसी के मद में धुत रहे. धर्म का मार्ग छोड़कर अधर्म करे.
11. पाच्चजन्य शंख
इस शंख को भगवान विष्णु को समर्पित कर दिया गया. श्रीहरि विष्णु और लक्ष्मी की पूजा में शंख बजाना इसलिए अनिवार्य हो गया.
12. चन्द्रमा
चन्द्रमा की उत्पति भी समुन्द्र मंथन से हुआ था और इनकी प्रार्थना पर भगवान शिव ने इन्हें अपने मस्तक पर धारण किया. जिसके बाद भगवान शिव चंद्रशेखर कहलाये.
13. भगवान धन्वंतरि
ये भगवान विष्णु के अंश कहे जाते है तथा आयुर्वेद के जनक माने जाते है. इन्होंने ने ही आयुर्विज्ञान को लोक कल्याण के लिए सभी ऋषि-मुनियों को सिखाया.
14. अमृत कलश
भगवान धन्वंतरि के हाथों में ही अमृत कलश था जिसे भगवान विष्णु ने देवताओं में बाँट दिया और छल से राहु ने इसको पी लिया तब उसका सर अपने सुदर्शन चक्र से काट दिया था. इसी दानव के दो भाग को राहु और केतु कहते है.