एक दिन बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे हुए थे तब उन्होंने कहा, आलू दुनिया की सबसे उत्तम सब्जी है जिसे हर कोई कभी और किसी तरह से खा सकता हैं. अकबर की इस बात को सुनकर सभी दरबारियों और मंत्रियों ने उनसे सहमति जाहिर की लेकिन बीरबल ने कोई जवाब नहीं दिया. अकबर के पूछने पर बीरबल ने कहा, जहाँपना भगवान की बनाई गई सभी चीज़ों में से आलू भी एक अच्छा वस्तु है जो स्वादिष्ट होता है लेकिन कोई इंसान सिर्फ आलू ही नहीं खा सकता है.
इस बात पर अकबर को गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा, तुम ये क्या बोल रहे हो बीरबल भला भगवान कैसे आलू बना सकते है? और मुझे ये बात समझ में नहीं आती की क्यों हर बार भगवान ही लोगों को बचाने आते है? तुम्हारे पास इस बात का कोई जवाब है?
बीरबल ने कहा, जहाँपना गुस्ताख़ी माफ़ हो आप मुझे कुछ दिनों की मौहलत दीजिये मैं आपके दोनों प्रश्नों का उत्तर दूंगा.
उसी शाम अकबर और बीरबल भोजन करने के लिये एक साथ बैठे. अकबर पकवान देखकर रसोइये को बुलवाया. तुमने खाने में ये क्या बनाया है? रसोइये ने कहा, जहाँपना मैंने सुना है कि आपको आलू बहुत पसंद है इसलिए मैंने, आलू मसाला, आलू चाप, दम आलू, आलू चाट, मीठी आलू पूरी, आलू का कीमा. ये सब बनाया है. अकबर ने फिर कहा, हाँ मुझे आलू पसंद है लेकिन तुमने ये आलू ही क्यों बनाया और किसने कहा था? रसोइये ने कहा बीरबल ने. बीरबल तुमने ऐसा क्यों किया? तब बीरबल ने बादशाह से सारी बात बताई. अकबर को समझ में आ गया कि सिर्फ आलू खाकर ही कोई नहीं रह सकता उसे और भी चीज़ें खानी पड़ेगी.
अगले दिन शाम को अकबर अपने शाही बगीचें में टहल रहे थे, उन्होंने देखा महारानी और दासी एक तालाब के पास खड़ी थी. दासी शहज़ादे को गॉड में लिए तालाब के ठीक किनारे थी तभी उसके हाथ से बच्चा छूंट कर पानी में गिर गया. अकबर ने तुरंत पानी में खुद कर अपने शहज़ादेको बचा लिया. लेकिन जब वो बाहर आये तो उन्होंने देखा वो तो बस एक पुतला था. उन्हें खूब गुस्सा आया और उन्होंने दासी को सज़ा देने का निश्चय किया. तभी बीरबल वहाँ आ गए और उनसे कहा, मैंने इन्हें ऐसा करने को कहा था. इनका कोई दोष नहीं है. अकबर ने क्रोधित होते हुए कहा, अगर तुमने इस मज़ाक के लिए कोई अच्छा कारण नहीं बताया तो तुम्हें अभी सी वक़्त राज्य से निकाल दूंगा. बीरबल ने कहा जहाँपना मैं माफ़ी चाहता हूँ लेकिन आप मेरे एक प्रश्न का उत्तर दीजिये, आपने शहज़ादे को बचाने के लिए मुझसे, या सेवकों से क्यों नहीं कहा? अकबर ने कहा, तुम पागल हो गए हो क्या बीरबल? तुमने देखा नहीं मेरा बच्चा डूब रहा था? तब बीरबल ने कहा जी हाँ महाराज बिलकुल ठीक इसी प्रकार हम भी भगवान के बच्चे है और जब हमें उनकी जरूरत होती है तब वो हमने बचाने स्वयं आते है किसी नौकर या इंसान को नहीं भेजते.
अकबर को अब अपने दोनों सवालों का जबाव मिल गया और उन्होंने बीरबल का खूब सम्मान किया.