एक जंगल में एक ख़रगोश रहता था, वो बहुत ही चालक था, इसलिए हर जानवर उससे मदद माँगने चले आते थे. एक दिन जंगल के राजा ने सभी जानवरों को अपने पास बुलाकर कहा, मैं तुम सबका राजा हूँ और इसलिए तुम सबको मेरे हर हुकुम को मानना ही होगा. आज से तुम सभी में से एक जानवर खुद ही मेरी गुफ़ा के बाहर आ जायेगा और मेरा खाना बनेगा. सभी जानवरों से उसकी डर की वजह से उसकी बात मान ली.
अब हर दिन कोई न कोई जानवर शेर के पास जाता और शेर उसे खा लेता. ऐसे देखते ही देखते जंगल के सारे जानवर मरते जा रहे थे. तब उन सभी ने मिलकर ख़रगोश से मदद लेनी की योजना बनाई. ख़रगोश ने उन सभी की समस्या सुनी और अगले दिन वो खुद शेर के पास जाने को तैयार हो गया. अगली सुबह शेर भूख से उस ख़रगोश का इंतज़ार कर रहा था लेकिन वो नहीं पहुंचा. बहुत वक़्त बीतने के बाद वो ख़रगोश शेर के पास पहुँचा. शेर ने ख़रगोश को देखते ही ग़ुस्से से पूछा, तुम अभी तक कहाँ थे? ख़रगोश ने डरते हुए कहा, महाराज में आपके पास ही आ रहा था तभी मुझे रास्ते में एक और शेर मिल गया और ख़ुद को इस जंगल का राजा कह रहा उससे बचकर आ रहा हूँ. एक और शेर की बात सुनकर शेर को और ग़ुस्सा आ गया और उसने तुरंत ख़रगोश से कहा, मुझे तुरंत वहाँ ले चलो मैं अभी उसे मार दूंगा. ख़रगोश की चाल काम आई उसने तुरंत उस शेर को लेकर पास के कुँए के पास पहुँच गया.
महाराज वो उस कुँए में है, आप ख़ुद ही जाकर देख ले. ख़रगोश की बात सुनकर शेर तुरंत कुँए पर पहुँच गया और उसमें झांककर देखने लगा. उसने अपने ही प्रतिबिंब को दूसरा शेर समझकर उसे मरने के लिए कुँए में कूद गया और उसकी मौत हो गई. अब सभी जानवर सुखी पूर्वक रहने लगे.