होली हिन्दुओं का न सिर्फ बल्कि पूरे भारत का एक जाना-माना त्यौहार हैं. जिसे ज्यादातर भारतीय बहुत ही हर्षौल्लास और ख़ुशी के साथ मनाते हैं. ये रंगों और खुशियों का त्यौहार हैं. इसे हर साल मार्च यानी फाल्गुन महीनें में मनाया जाता हैं.
हिन्दू कैलेंडर और तिथि के अनुसार फाल्गुन महीनें की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता हैं उसके अगले दिन रंग खेलकर होली मनाई जाती हैं. होली का त्यौहार न सिर्फ भारत में फेमस हैं बल्कि विश्वभर में भी बहुत चर्चित हैं. ये दिन रंगों और खुशियों के रूप में मनाया जाता हैं. भारत के अलग-अलग राज्य में इसे बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता हैं.
जितना महत्व होली का होता हैं उससे कहीं ज्यादा महत्व होलिका दहन का होता हैं. हिन्दू धर्मग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार होली से एक दिन पहले बुराई की प्रतीक होलिका का दहन किया जाता हैं. जिसमें हम अपने घर के पुरानी चीज़ों के साथ-साथ अपने अंदर की बुराइयां भी जला देते हैं. इस साल भी होलिका दहन किया जायेगा. इसलिए आपको जानना बहुत जरुरी हैं कि कब, कैसे, किस मुहूर्त में होलिका दहन किया जाना सही और मंगल करी होगा.
होलिका दहन की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस साल होलिका दहन 28 मार्च दिन रविवार को किया जायेगा और उसके अगले दिन यानी सोमवार 29 मार्च को होली खेली जाएगी.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 36 मिनट से 8 बजकर 56 मिनट तक हैं. इस मुहूर्त में होलिका दहन करना सबसे शुभ होगा.
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होलाष्टक में रुक जाते हैं सभी शुभ काम
होली के आठ दिन पहले से ही होलाष्टक लग जाता हैं. हिन्दू धर्म के अनुसार इन आठ दिनों में कोई भी शुभ या मांगलिक काम नहीं होते हैं. ये घड़ी शुभ नहीं होती हैं इसलिए इसमें विवाह नहीं होते हैं. इस साल होलाष्टक 21 मार्च दिन रविवार से शुरू हो रहा हैं और ये 28 मार्च को ही होलिका दहन के साथ ख़त्म होगा.
होलिका दहन कैसे करें
होलिका दहन की तैयारी कई दिनों से शुरू हो जाती हैं. इसके लिए गली-मोहल्लों में जगह-जगह एक स्थान पर सुखी लकड़ियाँ, घास-टूटे बेड आदि इकठ्ठा कर दिया जाता हैं. फिर होलिका दहन वाले दिन घर की महिलाएं उसकी पूजा करती हैं और उसके बाद उसे पूरे विधि विधान से जलाया जाता हैं. इस दिन को छोटी होली भी कहा जाता हैं. इसे घर का बड़ा व्यक्ति ही अग्नि देता हैं. इस साल ये 28 मार्च को किया जायेगा.