नवरात्रि का त्यौहार पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम से, पवित्रमन और सम्पूर्ण आस्था के साथ मनाया जाता हैं. हिन्दू धर्म के अनुसार माता के ये नव दिन हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है. साल में दो बार नवरात्रि मनाई जाती हैं, जिसमें से एक अप्रैल यानी चैत्र के महीने में तो दूसरी सितंबर- अक्टूबर यानी कार्तिक मास में मनाया जाता है. नवरात्रि का हिन्दू धर्म में बहुत ही मान्यता हैं. इन नव दिनों में भक्तगण माता का नव दिन का व्रत रखते है, साथ ही घर-घर माँ की पूजा-अर्चना विधिवत तरीके से की जाती हैं.
माना ये भी जाता है कि इन नव दिनों में माँ दुर्गा अपने नवों रूपों में भक्तों के घर में विद्यमान रहती हैं. लेकिन बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि आखिर नवरात्रि क्यों मनाया जाता हैं? तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे है कि आखिर नवरात्रि क्यों मनाई जाती है...
नवरात्रि मनाने का आध्यात्मिक कारण
नवरात्रि के पर्व वैसे तो मौसम के परिवर्तन के दौरान मनाया जाता है. इस लिए इसे साल में दो बार मनाया जाता हैं. एक सर्दियों के शुरुआत के पहले और दूसरा गर्मियों के शुरुआत के पहले. माँ दुर्गा इस प्रकृति का ही एक अवतार हैं. साल में दो बार प्रकृति में बहुत बड़े बदलाव होते है, जिनका स्वागत करने के लिए माँ देवी का अनुष्ठान सबसे बेहतर तरीका होता हैं. माँ दुर्गा के नव रूपों की उपासना के साथ इस बदल का आनंद लिया जाता हैं.
नवरात्रि मनाने का पौराणिक कारण
जबकि हिन्दू धर्म-ग्रंथों और पुराणों के अनुसार नवरात्रि मनाने का सबसे बड़ा कारण ये है कि सबसे पहले मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने ही नवरात्रि मनाने की परम्परा की शुरुआत की थी. श्री राम जी ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले माँ दुर्गा की आराधना की थी तथा उनसे विजयी होने का आशीर्वाद लिया था. इन दिनों में माँ दुर्गा की ही आरधान की जाती है. माँ दुर्गा इस ब्रह्मण्ड की सर्वोच्च ऊर्जा की स्रोत मानी जाती हैं, वो दिव्यशक्ति हैं.
माँ ' दुर्गा ' का अर्थ क्या है?
दुर्गा का अर्थ होता है, दुखों को हरने वाली. माँ दुर्गा की सच्चे मन से उपासना करने से इंसान के सभी दुखों का निवारण हो जाता हैं. माँ दुर्गा सकरात्मक ऊर्जा की स्रोत है, वो इस पृथ्वी पर फैली नकरात्मक ऊर्जा का विनाश करने वाली हैं. नवरात्रि में माँ दुर्गा के नवरुपों का ध्यान करने मात्र से आपकी सभी दुःख और तकलीफ दूर हो जाते हैं.