शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से बचने के लिए हर किसी क योग करना चाहिए. योग करने से इंसान की कई सारी तकलीफें दूर होती है साथ ही वो सेहतमंद भी रहता हैं. योग कई सारी बीमारियों को बिना किसी मेडिसिन के ही ठीक करने में सहायक होता हैं. जिसमें से एक बीमारी है अर्थराइटिस जिसे गठिया के नाम से भी जाना जाता हैं. शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से व्यक्ति को अर्थराइटिस की समस्या हो जाती हैं. इसमें व्यक्ति की जोड़ों में असहनीय दर्द होने के साथ-साथ कई बार हाथ और पैरों में सूजन भी आ जाते है.
ये बीमारी बूढ़ों सीमित नहीं है, इसके चपेट में युवा भी बहुत जल्दी आ जाते हैं. वैसे तो ये बीमारी 30 से 50 साल या उससे ऊपर के लोगों में अधिक होता है लेकिन आज के बदलते परिदृश्य में बच्चों को भी ये बीमारी अधिक मात्रा में हो रहा हैं. घुटनों में दर्द, शरीर का लाल होना, हाथ-पैरों में सूजन आना लक्ष्ण माने जाते हैं. इसलिए आज हम आपको इस बीमारी से बचने के लिए कुछ ऐसे योगासनों के बारे में बताने जा रहे है जिसे रोज करने से आप अर्थराइटिस यानी गठिया रोग से छुटकारा पा सकते है. इन्हें करने से शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा काबू में रहती है. तो चलिए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं....
भस्त्रिका प्राणायाम: इस प्राणायाम को करने से आपके शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा ज्यादा नहीं बढ़ती है जिससे आपको अर्थराइटिस की समस्या नहीं होती हैं. इसे हम तीन तरीके कर सकते हैं. शुरूआती में 5 सेकंड में सांस लीजिए और उसके बाद उतनी में देर में सांस छोड़े दे. दूसरी बार केवल 2.5 सेकंड का वक्त लीजिए और आखिरी बार बार-बार तेजी से सांस लीजिए और छोड़िये. इसे हर रोज 5 मिनट तक करना चाहिए. जिससे आपके शरीर में यूरिक एसिड नहीं बढ़ता है और आपको गठिया रोग नहीं होता हैं.
उष्ट्रासन: इस योगासन को बैठकर किया जाता हैं. शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने से आपके शरीर के सभी जोड़ो में असहनीय पीड़ा होती हैं. इस योगासन को करने यूरिक एसिड को कम किया जा सकता हैं. उष्ट्रासन करने से हमारी पीठ स्ट्रेच होती है. इस आसान में सर थोड़ा सा झुकना पड़ता है और पेट उठा हुआ होता हैं. ये आसान हमारे हिप्स और थाई के लिए भी फायदेमंद होता हैं.
भ्रामरी प्रायाणाम: ये प्राणायाम सुखासन या पद्मासन में बैठकर करना चाहिए. पहले सांस अंदर भरे. इसके बाद सांस भरकर पहले अपनी उंगलियां लालट पर लगाएं. अब अपने 3 उंगलियों के अपने आँखों को बंद करिये और इसके बाद अपने अंगूठे से कान को बंद कर दीजिए. इसके बाद बिना मुंह खोले ॐ का उच्चारण कीजिए. इस क्रिया को 3-20 बार तक रोज करने से आपको अर्थराइटिस नहीं होती हैं.
कपालभाति: इस प्राणायाम को आप 5-10 मिनट तक कर सकते हैं. साथ ही इसे करते समय हर 5 मिनट के बाद एक मिनट का आराम जरुरी होता हैं. इसका अभ्यास करने से भी आपको गठिया रोग नहीं होता हैं. साथ ही शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कंट्रोल में रहती हैं.