रहीम दास का पूरा नाम नवाब अब्दुर्रहीम खान खाना था. ये हिंदी साहित्य के कृष्ण भक्ति साखा के प्रतिष्ठित कवियों में से एक हैं. रहीम दास भले ही एक मुसलमान थे लेकिन भगवान श्री कृष्ण के भक्ति के ऐसे रमे की उन्होंने उनकी भक्ति में कई सारी कविताएं लिखी.
रहीम का जन्म सन 1556 में लाहौर में हुआ था. इनके पिता बैरम खाँ जब अकबर छोटे थे तो उनके शिक्षक अऊर अभिभावक थे. इनकी माँ हरियाण के राजपूत जमाल खाँ की बेटी सुल्ताना बेगम थी. रहीम जब 5 साल के थे तभी उनके पिता की साल 1561 में इनके पिता की गुजरात के पाटण नगर में हत्या कर दी गई थी. इसके बाद रहीम को अकबर ने अपने धर्म पुत्र के रूप में पालन पोषण किया. इनका विवाह माहबानो से हुआ था. इनका देहांत 1627 में हुआ था. रहीम ने बाद में कृष्ण की भक्ति में धर्मान्तर कर लिया और उनके भक्ति में कई सारे दोहे लिखें. इनकी भाषा अवधी और ब्रज थी. ये दोनों भाषाओ में लिखते थे.
रहीम दास ने कई सारे नैतिक दोहे लिखे. जो इंसान के जीवन में बहुत ही बड़ी अहमियत निभाते हैं. उनके दोहे परिवार-समाज और लोगों में जनचेतना को जगाने वाले हैं.
आज हम आपके लिए रहीम दास के 10 बहुत ही चुनिंदा दोहे लेकर आये हैं. जो आपके जीवन में बहुत हीअहम रोल प्ले करते हैं. इन दोहों को अपने जीवन में आत्मसात करने से आपके जीवन का पूरा नजरिया बदल जायेगा. तो चलिए उनको जानते हैं..
1. रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥
2. रहिमन धागा प्रेम का, मत तोडो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुरै, जुरे गाँठ परि जाय।
3. रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार.
रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार||
4. वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग.
बांटन वारे को लगे, ज्यों मेंहदी को रंग
5. रहिमन’ वहां न जाइये, जहां कपट को हेत |
हम तो ढारत ढेकुली, सींचत अपनो खेत ||
6. नैन सलोने अधर मधु, कहि रहीम घटि कौन।
मीठो भावै लोन पर, अरु मीठे पर लौन॥
7. तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान।
कहि रहीम पर काज हित, सम्पति सुचहिं सुजान॥
8. छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात |
कह रहीम हरी का घट्यौ, जो भृगु मारी लात ||
9. बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय.
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय||
10. रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर |
जब नाइके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ||
रहीम दास ने ये दोहे आज से सालों पहले लिखें थे लेकिन इनकी प्रासंगिकता आज भी उतनी हैं जितनी आज से सौ साल पहले थी और आने वाली समय में भी रहेंगी. ये दोहे आपके जीवन का तरीका और अंदाज दोनों बदलने की काबिलियत रखते हैं. बशर्ते आपको उन्हें आपने जीवन में आत्मसात करना होगा. रहीम एक बहुत ही महान समाज सुधारक थे. साथ ही वो हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के बेहतरीन कवियों में से एक हैं.