फैज़ अहमद फैज़ के चुनिंदा शेर और नज़्में

Famous Shayari and Nazms of Faiz Ahmad Faiz

अपनी नज़्मों के माध्यम से फैज़ साहब ने दुनिया को बताया हैं की शायरी महज़ इश्क़ तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि और भी बहुत से विषय हैं जिन पर एक उम्दा शायरी लिखी जा सकती हैं. फैज़ अहमद फैज़ का उर्दू साहित्य में अपना एक अलग मुकाम हैं. 

उनकी पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान हैं. आज हम आपके लिए लेकर आये हैं फैज़ अहमद फैज़ के कुछ बेहतरीन शेर और चुनिंदा नज़्में..... 

शेर--------

1. और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा 

राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

2. दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है 

लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है 

3. कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब 

आज तुम याद बे-हिसाब आए 

4. और क्या देखने को बाक़ी है 

आप से दिल लगा के देख लिया 

5. तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं 

किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं

6. ''आप की याद आती रही रात भर'' 

चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर 

7. कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी 

सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी 

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नज़्में------- 

कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया 

कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया 

वो लोग बहुत ख़ुश-क़िस्मत थे 

जो इश्क़ को काम समझते थे 

या काम से आशिक़ी करते थे

काम इश्क़ के आड़े आता रहा 

और इश्क़ से काम उलझता रहा 

फिर आख़िर तंग आ कर हम ने 

दोनों को अधूरा छोड़ दिया


चलो फिर से मुस्कुराएँ 

चलो फिर से दिल जलाएँ 

जो गुज़र गईं हैं रातें 

उन्हें फिर जगा के लाएँ 

जो बिसर गईं हैं बातें 

उन्हें याद में बुलाएँ 

चलो फिर से दिल लगाएँ 

चलो फिर से मुस्कुराएँ 


अब तुम ही कहो क्या करना है 

जब दुख की नदिया में हम ने 

जीवन की नाव डाली थी 

था कितना कस-बल बाँहों में 

लोहू में कितनी लाली थी 

यूँ लगता था दो हाथ लगे 

और नाव पूरम पार लगी 

ऐसा न हुआ, हर धारे में 

कुछ अन-देखी मंजधारें थीं 

कुछ माँझी थे अंजान बहुत

कुछ बे-परखी पतवारें थीं 

अब जो भी चाहो छान करो 

अब जितने चाहो दोश धरो 

नदिया तो वही है, नाव वही 

अब तुम ही कहो क्या करना है 

अब कैसे पार उतरना है 

जब अपनी छाती में हम ने 

इस देस के घाव देखे थे 

था वेदों पर विश्वाश बहुत 

और याद बहुत से नुस्ख़े थे 

यूँ लगता था बस कुछ दिन में 

सारी बिपता कट जाएगी 

और सब घाव भर जाएँगे 

ऐसा न हुआ कि रोग अपने 

कुछ इतने ढेर पुराने थे 

वेद इन की टोह को पा न सके 

और टोटके सब बे-कार गए 

अब जो भी चाहो छान करो 

अब जितने चाहो दोश धरो 

छाती तो वही है, घाव वही 

अब तुम ही कहो क्या करना है 

ये घाव कैसे भरना है


ग़म न कर, ग़म न कर 

दर्द थम जाएगा ग़म न कर, ग़म न कर 

यार लौट आएँगे, दिल ठहर जाएगा, ग़म न कर, ग़म न कर 

ज़ख़्म भर जाएगा 

ग़म न कर, ग़म न कर 

दिन निकल आएगा

ग़म न कर, ग़म न कर 

अब्र खुल जाएगा, रात ढल जाएगी 

ग़म न कर, ग़म न कर 

रुत बदल जाएगी 

ग़म न कर, ग़म न कर