भारत में हर दिन उत्सव की तरह मनाया जाता हैं. यहाँ पर आये दिन कोई ना कोई त्यौहार होता रहता हैं. ऐसे ही एक त्यौहार होता हैं ओणम जिसे दक्षिण भारत में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता हैं. ओणम हर्षोल्लास, ख़ुशी और उत्साह का त्यौहार हैं.
जो सावन माह में मनाया जाता हैं. इस त्यौहार का अपना एक अलग महत्व और मन्याता हैं. ये 5 दिनों तक चलने वाला त्यौहार हैं. आज हम आपको ओणम के बारे हर एक जानकारी दें जा रहे हैं.
इस साल कब मनाया जायेगा ओणम
इस साल ओणम का त्यौहार 21 अगस्त को मनाया जायेगा. ऐसा माना जाता हैं कि इस दिन राजा बलि पाताललोक से वापस धरती पर अपनी प्रजा से मिलने आते हैं. इसलिए लोग उनके स्वागत में अपने पूरे घर को अच्छे से सजा देते हैं. घर के दरवाजों पर फूलों की मालाएं और साथ में घर के बाहर रंगोली बनाते हैं. ओणम त्यौहार के पीछे एक पौराणिक कहानी छुपी हैं. जोकि ये बताती हैं कि आखिर ओणम क्यों मनाया जाता हैं.
क्यों मनाया जाता हैं ओणम?
भगवान विष्णु का अनन्य भक्त प्रह्लाद की कहानी सबको पता हैं. लेकिन उसके पौत्र राजा बलि की कहानी बहुत कम लो जानते हैं. राजा बलि जब महाराज तब उसने अपने साम्राज्य विस्तार की योजना से यज्ञ करने लगा. ऐसे में ये बात इंद्र ने भगवान विष्णु को बताई, तब भगवान विष्णु से वामन रूप धारण करके राजा बलि की परीक्षा लेने के लिए धरती लोक आये. उसके बाद उन्होंने वामन अवतार धारण करके राजा से तीन पग भूमि दान में लेने की मांग की. ऐसे में राजा बलि ने अनुमति दे दी. भगवान ने अपने दो पग में पूरी धरती और एकश्लोक नाप लिया. उसके बाद उन्होंने कहा, हे राजन मैं अपना तीसरा पग कहा पर रखूं? तब बलि ने कहा, भगवान आप अपना तीसरा पग मेरे सर पर रख दीजिए. जैसे भगवान ने अपना तीसरा पग उसके सर पर रखा वो सीधे पाताललोक चला गया.
राजा बलि के दान भाव से बहुत प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे पाताललोक का राजा बना दिया. साथ ही ये भी वरदान दिया कि तुम साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने धरती लोक आ सकते हैं. तब से मन्याता हैं कि ओणम के दिन ही राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने के लिए आते हैं. इसी उपलक्ष्य में लोग ओणम का त्यौहार आनंद के साथ मनाते हैं.