भारत देश में कई सारे किले और ऐतिहासिक इमारते हैं. जो अपनी बनावट और गौरवशाली इतिहास के लिए जाने जाते हैं. विश्व भर से लोग इन ऐतिहासिक इमारतों को देखने के लिए भारत आते हैं.
ये सच हैं कि इन सभी किलों का निर्माण भारत में राजा करने वाले शासकों ने अपने-अपने समय पर इसे बनाया हैं. लेकिन इन किलों की नक्काशी और बनावट इन्हीं सबसे अनोखा और आकर्षित बनाते हैं. ऐसे ही एक सबसे चर्चित किले के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं. जिसे 'सांपों का किला' कहा जाता हैं. इस किले का निर्माण आज से 800 साल पहले किया गया था. इस किले को तकरीबन 1178 से 1209 ईस्वी के आस-पास शिलाहर राजवंश के शासक भोज द्वितीय ने करवाया था. ऐसा भी माना जाता हैं कि सबसे फेमस कहावत 'कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली' इसी किले से ही शुरू हुआ था.
सन 1673 में यह किला मराठा साम्राज्य के गौरव शिवाजी के अधिकार क्षेत्र में आ गया था. इस किले का असली नाम पन्हाला किला हैं और यहाँ पर शिवाजी ने तकरीबन 500 से ज्यादा दिन रहे थे. इसके बाद ये किला अंग्रेजों के कब्जें में चला गया था.
कहाँ हैं ये किला और इसे क्यों कहा जाता हैं सांपों का किला?
ये किला महाराष्ट्र के पन्हाला में स्थित हैं. जहाँ पर कई सारे राजवंश के शासकों ने आराम से राज किया. इस किले की बनावट की वजह से इसे सांपों का किला कहा जाता हैं. दरअसल पन्हाला किले की बनावट टेढ़ी-मेढ़ी हैं. जिसे देखकर ऐसा लगता हैं मानों कोई बड़ा सा सांप चल रहा हो. इस किले की भव्यता सबको आकर्षित करती हैं. इसके अंदर एक 22 किलोमीटर लम्बा सुंरग भी था. इस तीन मंजिले किले में सबसे नीचे एक कुआँ भी हैं. जिसे अंधार बावड़ी के नाम से जाना जाता हैं. इसका निर्माण मुगल शासक आदिल शाह ने करवाया था. उसका मकसद ये था कि जब भी कोई किले पर हमला करें तो इसमें और पास की सभी बावड़ियों में जहर मिला कर उन्हें मार देंगे. इस किले के अंदर जूना राजबाड़ा की कुलदेवी तुलजा भवानी का मंदिर भी हैं.
क्यों आते हैं लोग?
इस किले में आने वाले यहाँ दो कारणों से अक्सर आते हैं. पहला तो इस किले का नाम उनके मन में जिज्ञासा उत्पन्न करता हैं और दूसरा इस किले की बनावट.
आप भी इस किले में जा सकते हैं. साथ ही इसके आस-पास घना जंगली और पहाड़ी इलाका हैं. जो इसको और भी बेहतरीन लुक देता हैं. इसके अंदर स्थित कुलदेवी का मंदिर भी इसके आकर्षण का एक बड़ा केंद्र हैं.