ओलिंपिक गेम्स का स्टार्ट हो गया हैं. इस साल ओलिंपिक जापान के टोक्यो में खेला जा रहा हैं. जिसमें कई सारे देशों के पार्टिसिपेंट्स अपना अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. भारत के भी खिलाड़ी ओलिंपिक में अच्छा प्रदर्शन करके गोल्ड लेकर आ रहे हैं.
इस प्रतियोगिता के अलग-अलग खेलों में पहले स्थान पर आने वाले खिलाड़ी को गोल्ड मेडल से नवाजा जाता हैं. जबकि सेकेंड और थर्ड वालों को सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल दिया जाता हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा हैं कि खिलाडियों को जो गोल्ड मेडल मिलता हैं. उसमें कितना सोना शामिल होता हैं? कही उसके ऊपर से केवल गोल्ड का लेयर ही नहीं होता? क्या वो वाकई सोने से ही बनाया जाता हैं? इस तरह के कई सवाल हैं. जिनके जवाब हर कोई नहीं जनता हैं. इसलिए आज हम आपको इस गोल्ड मेडल से जुड़े इन सभी सवालों का जवाब देने जा रहे हैं.
मेडल का भार कितना होता हैं?
आमतौर पर ओलंपिक में मिले वाले गोल्ड मेडल का भार 500ग्राम होता हैं. लेकिन इस बार टोक्यो ओलिंपिक में मिलने वाले मेडल्स का वजन थोड़ा सा ज्यादा हैं. इसमें मिलने वाले गोल्ड मेडल का भार 556 ग्राम, रजत पदक का भार 550ग्राम और कांस्य पदक का भार 450 ग्राम हैं. इन तीनों मेडल्स को गेम में टॉप थ्री पोजीशन पर आने वाले खिलाड़ियों को रैंक के हिसाब से दिया जाता हैं.
कैसे बनते हैं ये मेडल? क्या सच में गोल्ड मेडल सोने का होता हैं?
ईनाम में मिलने वाले इन मेडल्स में से सिल्वर मेडल को पूरा चांदी का बनाया जाता हैं. जिसमें 92 प्रतिशत शुध्द चांदी होता हैं. जबकि ब्रॉन्ज मेडल में 95 फीसदी कॉपर और 5 फीसदी जिंक मिलाकर इसे बनाया जाता हैं. अब बात आती हैं कि गोल्ड मेडल में कितना सोना होता हैं? तो जो खिलाड़ी पहले स्थान पर आता हैं उसे गोल्ड मेडल दिया जाता हैं. लेकिन इसका निर्माण पूरी तरह सोने से नहीं होता हैं.
सोने की परत चढ़ी होती हैं गोल्ड मेडल पर
आपको जानकर हैरानी होगी कि ओलिंपिक में मिलने वाले गोल्ड मेडल को पूरी तरह सोने से नहीं बनाया जाता. ये मेडल चांदी का ही होता हैं जिस पर सोने की एक पतली परत चढ़ी होती हैं. जो 1 पर्सेंट से थोड़ा ज्यादा होता हैं. इस पूरे मेडल में सिर्फ 6 ग्राम ही सोना होता हैं. बाकि का पूरा मेडल चांदी का ही होता हैं.
ये मेडल कौन बनाता हैं?
आप बात आती हैं कि ये मेडल कौन बनता हैं? तो आपको बता दें इनको मेजबान देश ही बनाता हैं. मतलब जिस देश में ओलिंपिक होता हैं उस देश के ही ओर्गनइजिंग टीम इसकी जिम्मेदारी लेती हैं. साथ ही अलग-अलग खेलों के हिसाब से भी ये दायित्व बढ़ जाता हैं. इन मेडल्स के साथ इनका एक केस भी होता हैं जिनमें इन्हें रखा जाता हैं. साथ ही इसके साथ रिबन भी होता हैं जो इस बार खास जापानी डिज़ाइन में बनाया गया हैं.
फोटो खींचते समय क्यों काटते हैं मेडल?
आप ने अक्सर देखा होगा कि कई सारे खिलाड़ी मेडल के साथ फोटो खिचाते समय इसे अपने मुंह से काटते हुए पोज़ देते हैं. लेकिन इसके पीछे का कारण कई लोग नहीं जानते हैं. असल में ये फोटोग्राफर की ही डिमांड होती हैं क्योंकि उसे कुछ मेमोरेबल तस्वीर खींचनी होती हैं. जो लोगों को आकर्षित करें और साथ ही वो फोटो ज्यादा बिक सके. इसलिए अक्सर खिलाड़ी जीतने के बाद ये पोज़ देते हैं.