दुनियाभर में तरह-तरह के फूल खिलते हैं. जो देखने में बहुत ही मनमोहक और सुंदर होते हैं. फूलों को पसंद करने के कई कारण होते हैं. जिनमें से उनकी खूबसूरती और सुगंध सबसे खास होती हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसा फूल भी पाया जाता हैं. जिसे देखने के लिए लोग लाखों रुपए तक खर्च करने के लिए तैयार होते हैं. इस फूल के बारे में कहा जाता हैं कि दुनियाभर से लोग इसे देखने के लिए आते हैं. सबसे हैरानी की बात हैं ये हैं कि ये फूल केवल भारत के केरल और तमिलनाडु में पाया जाता हैं. बाकी दुनिया के किसी भी कोने में ये फूल नहीं पाया जाता हैं. इस फूल का नाम नीलकुरिंजी हैं. जो केरल में पाया जाता हैं. आज हम आपको बताएंगे कि इस फूल की ऐसी क्या खासियत हैं? साथ ही केरल के किस गांव में ये फूल देखने को मिलता हैं?
12 सालों में एक बार खिलता हैं नीलकुरिंजी का फूल
इस फूल के बारे में कहा जाता हैं कि ये 12 सालों में एक बार खिलता हैं. एक बार खिलने के बाद फिर दोबारा से इसके दर्शन 12 साल बाद ही हो सकता हैं. ये फूल एक मोनोकार्पिक पौधा हैं. जो एक बार खिलने के बाद बहुत ही जल्दी से मुरझा जाता हैं. जिसकी वजह से ये बेहद खास माना जाता हैं. ये अगस्त से अक्टूबर के महीने में खिलता हैं. इस साल ये फूल केरल में खिलना शुरू हो गया हैं. इसके बाद ये आज से 12 साल बाद 2033 में दिखाई देगा.
लाखों रूपये खर्च करके दुनियाभर से आते हैं लोग
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस फूल को देखने के लिए लाखों लोगों रुपए खर्च करके देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से यहाँ आते हैं. ऐसा इसलिए हैं क्योंकि इस फूल की एक खासियत हैं कि ये 12 सालों में एक बार खिलता हैं. ऐसे में लोग इसको देखने के लिए कई सालों से इंतजार करते रहते हैं. इसकी एक और खास बात हैं कि ये फूल भारत को छोड़कर पूरी दुनिया में और कहीं नहीं पाया जाता हैं. इसकी यही खासियत लोगों को इसके प्रति आकर्षित करती हैं.
केरल के इस गांव में खिलता हैं नीलकुरिंजी का फूल
भारत के केरल राज्य के इडुक्की जिले के संथानपारा पंचायत के शालोम पहाड़ियों पर ये फूल खिलता हैं. इस साल ये अगस्त की ही शुरुआत से गुलजार हो रहा हैं. नीलकुरिंजी एक दुर्लभ फूल हैं. जिसके खिलने से इस पहाड़ी पर चार चाँद लग जाते हैं. हालांकि की इस बार भी कोरोनावायरस के चक्कर में लोग इसे देख नहीं पाएंगे. साथ ही इसके बाद उनको अब 12 साल का लम्बा इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि अब ये 12 सालों बाद साल 2033 में खिलेगा.