अमेरिका के मरीन कमांडों दुनिया के सबसे खतरनाक और खूंखार कमांडों माने जाते हैं. इनके बारे में कहा जाता हैं कि दुनिया के खतरनाक से खतरनाक मिशन को बहुत ही आसानी से अंजाम दे सकते हैं. अमेरिका की ये फाॅर्स सेकेंड वर्ल्ड वॉर से ही काम कर रही हैं.
इनकी ट्रेंनिग बहुत ही खास ढ़ंग से होती हैं. साथ ही इनका नाम सुनते ही दुश्मन कांपने लगता हैं. भारत में अगर सबसे खतरनाक कमांडों के बात करें तो होते हैं ब्लैक कैट कमांडों. कमांडों शब्द लैटिन भाषा के कमांडर से बना हैं. जब भी कोई आतंकी गतिविधि को रोकना हो या किसी ख़ुफ़िया और खतरनाक मिशन को अंजाम देना होता हैं. तो इन्हें कमांडोज का इस्तेमाल किया जाता हैं. ये अपने मिशन को बेहतरीन तरीके से पूरा करने में माहिर होते हैं. अपने दुश्मन को ये पलक झपकते ही मार सकते हैं. आज हम आपको दुनिया के सबसे खतरनाक कमांडों फोर्सेज से जुड़ी कुछ खास जानकारी देने जा रहे हैं.
क्यों पीते हैं ये जिन्दा कोबरा सांप का जहर?
इन खतरनाक मरीन कमांडोज के बारे में एक बात बहुत मशहूर हैं कि इनको ट्रेनिंग के दौरान जिन्दा कोबरा सांप का जहर पिलाया जाता हैं. लेकिन इसके पीछे का कारण बहुत ही कम लोग जानते हैं. आज हम आपको सबसे पहले बताएंगे कि आखिर मरीन कमांडोज के साथ ऐसा क्यों किया जाता हैं? क्या वो इससे पीने से मरते नहीं हैं?
किंग कोबरा दुनिया के सबसे ज्यादा जहरीलें सांपों में से एक हैं. जिसके जहर की कुछ बूंदें ही उसके शिकार को मिनटों में ढेर कर सकता हैं. लेकिन अब सवाल ये उठता हैं कि इतने जहरीले सांप का जहर पीने के बाद इन मरीन कमांडोज का क्या होता हैं?
ऐसा इसलिए होता हैं क्योंकि इन कमांडोज के ट्रेनिंग का सबसे अहम और जरुरी हिस्सा यही होता हैं. जिसमें इन्हें जंगल में सर्वाइव करना सिखाया जाता हैं. ऐसे में उन्हें जंगल में रह रहे जंगली जानवरों को मार कर खाने के भी टेक्निक सिखाई जाती हैं. इसमें जिन्दा मुर्गा से लेकर छिपकली, और अन्य जंगली जानवर शामिल होते हैं.
इनके सबसे खास ट्रेनिंग को कोबरा गोल्ड के नाम से जाना जाता हैं. जिसमें ये कमांडोज जिन्दा कोबरा सांप पकड़कर उसका खून पीते हैं. साथ में इन्हें जहरीलें बिच्छुओं को भी खाना होता हैं. अगर कोई भी इस टास्क से पीछे हटता हैं. तो उसे तुरंत फाॅर्स से निकाल दिया जाता हैं.
दुनिया की सबसे मुश्किल आर्मी ट्रेनिंग हैं ये
मरीन कमांडोज के इस ट्रेनिंग को दुनिया की सबसे खतरनाक और मुश्किल ट्रेनिंग कही जाती हैं. जिसकी अवधि 13 हफ्तों की होती हैं. जबकि आर्मी और नेवी की ट्रेंनिंग 10 और 9 हफ्तों की होती हैं.
साथ ही इस ट्रेनिंग में नियम महिला और पुरुष दोनों के लिए सेम होती हैं. इस ट्रेनिंग में उन्हें मानसिक और शारीरक हर प्रकार से ट्रेन किया जाता हैं. हर साल इस फाॅर्स में 35 से 40 हजार लोग भाग लेते हैं. इसमें जाने से पहले एक फिटनेस टेस्ट देना होता हैं. इसके बाद आप पास होते हैं तो आपको आगे भेजा जाता हैं. इन कमांडोज के पास आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस हथियार होते हैं. साथ ही इन्हें मिसाइल लॉन्चिंग की भी ट्रेनिंग दी जाती हैं.