आप जब भी किसी बड़े रेस्टोरेंट्स या होटल में खाने या रहने के लिए जाते हैं. तो वहां पर वेटर या सर्विस बॉय को आते समय कुछ टिप्स देकर आते हैं. कई होटल्स और रेस्टोरेंट्स में तो टिप देना एकदम अनिवार्य होता हैं.
ऐसे में अगर आप टिप नहीं भी देना चाहते हैं. फिर भी उनकी टर्म्स एंड कंडीशन के कारण आपको टिप देना पड़ता हैं. लेकिन क्या कभी ये सवाल आपके दिमाग आया कि ये टिप देने की परम्परा की शुरुआत कब और कैसे हुई? वो कौन शख्स था जिसने सबसे पहले टिप दी? वो कहाँ का निवासी था? इस परम्परा की शुरुआत कहाँ से हुई? ये बहुत आम सवाल हैं जिसके बारे में आपको भी जानकारी होनी चाहिए. इसलिए आज हम आपके लिए इन सवालों के सारे जवाब लेकर आये हैं. तो चलिए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं...
अंग्रेजों ने की थी इसकी शुरुआत
कई सारी चीजें हमने पश्चिम देशों से अपनाया हैं. उन्हीं में से एक ये टिपिंग कल्चर भी हैं. इसकी शुरुआत अंग्रेजों ने 1600 ईस्वी में की थी. संयोग वश इस समय वो भारत भी आये थे. सबसे पहले 1600 ईस्वी में एक अंग्रेज की हवेली से इस परम्परा की शुरुआत हुई. जो आज भी बखूबी होता आ रहा हैं. इस अंग्रेज के यहाँ काम करने वाले नौकरों को उनके बेहतरीन काम करने की वजह से उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें टिप देना शुरू हुआ. इसके बाद ये कल्चर धीरे-धीरे और बढ़ गया.
अमेरिका में चलती हैं दूसरी मान्यता
अमेरिका में लोगों का मानना हैं कि उनके यहाँ इस कल्चर की शुरुआत 18वीं शताब्दी में हुई थी. न्यूयोर्क के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ होटल एडमिनिस्ट्रेशन में पढ़ाने वाले प्रोफेसर माइकल लिन के अनुसार इसकी शुरुआत अमेरिका के अमीर लोगों ने दिखावे के रूप में की थी. अमेरिका में तबसे दिखावे के तौर पर हर अमीर आदमी वेटर को टिप देता हैं.
माइकल लिन का खुद भी यही मानना हैं कि इसकी शुरुआत 17वीं शताब्दी में ब्रिटेन में हुई थी. जहां पर शराब पीने वाले लोगों ने वहां के नौकरों और वेटरों को टिप देना शुरू किया. उनका मानना था कि ऐसा करने से शराब जल्दी मिलती हैं. साथ ही उनके खाली गिलास सबसे पहले भरे जायेंगे.
क्या हैं TIP का फुल फॉर्म?
सबसे पहले ऑक्सफ़ोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी में टिप शब्द इस्तेमाल साल 1706 में हुआ था. जिसका फुल फॉर्म To Insure Promptitude होता हैं. जिसका अर्थ होता हैं कि जिसने टिप दिया हैं. उसे सबसे पहले और अच्छी सर्विस दी जाये.
तो इस तरह से ये कल्चर पूरे दुनिया के रेस्टोरेंट्स, बार और होल्ट्स में पहुँच गया. इसके बाद से होटल में जाने वाला हर एक शख्स टिप देना शुरू कर दिया. इसी के साथ आम लोगों में इस धारणा का जन्म हुआ कि रेस्टोरेंट्स और होटल्स में बड़े और पैसे वाले लोग ही जाते हैं क्योंकि कई लोगों के पास खाने के बाद टिप देने के पैसे नहीं होते हैं. जिसकी वजह से आमवर्ग के लोग इससे दूर रह जाते हैं.