एक दिन अचानक महाराज अकबर की अंगूठी उनके सेवक टूट गई. कुछ देर बाद अकबर ने देखा कि उनकी प्रिय अंगूठी गायब है. उन्होंने ने सेवक से उस अंगूठी के बारे में पूछा, तो सेवक डर के मारे कांपने लगा, सेवक को जल्दी में कोई अच्छा बहाना नहीं सूझा, तो उसने कहा कि महाराज अंगूठी को मैं अपने घर ले गया हूं, ताकि अच्छे से साफ कर सकूं.