बहुत कुछ कहना था,पर कैसे और क्या,ये समझ नहीं आया,तो हाँथ पकड़,उसने कहा 'बस',मैने भी साँसे रोक,ज़रा जोर से दबा दिया l
Safar mein sath tera, Ae humsafar! hamesha nahi hoga.
Mere dil mein, tere liye dua ke siva kuch nahi hoga..
वो गले से लिपट के सोते हैं
आज-कल गर्मियाँ हैं जाड़ों में
सर्दी और गर्मी के उज़्र नहीं चलते
मौसम देख के साहब इश्क़ नहीं होता