ङरे क्यूं मेरा कातिलक्या रहेगा उसकी गर्दन पर वो खून,जो चश्म-ए-तर से उर्म भर यूॅ दम-ब-दम निकले
ङरे क्यूं मेरा कातिल
क्या रहेगा उसकी गर्दन पर वो खून,
जो चश्म-ए-तर से उर्म भर यूॅ दम-ब-दम निकले
ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझहम अपने शहर में होते तो घर चले जाते
दिल की बात दिल से कह सको,दिल में इतनी जगह रखना lमुलाक़ात हो जाये किसी मोड़ पे,मुस्कुराने की वज़ह रखना l
मेरे आंसुओं में तू ही छुपी रहती हैं,
रोज आंखों से तू ही तो बरसती हैं,
किसी गुलाब की बेटी है तू शायद,
इसलिए मुरझाकर भी महकती हैं.
हमारी हर रात तम्हारे साथ हो,
ओर प्यार मोहब्बत की बात हो,
हम लेले तुम को बाँहों में अपनी,
फिर बताये तुम ही ज़िन्दगी तुम ही हमारी कैनाथ हो,
गुड नाईट डिअर…