रोज़ मौसम की शरारत झेलता कब तक ,मैंने खुद में रच लिए कुछ ख़ुशनुमा मंज़र..!
ये दूरियाँ कब मोह्हबत,
कम कर पाती है,
यादें तो बेहिसाब,
तन्हाई में आती है l
"बैठे-बैठे एक मुस्कुराहट,ओंठो पे आ गई,कोई बात तुम्हारी प्यारी, जहन में आ गई,लोगो ने पूछा क्या है, क्यों हँस रहे हो,उन्हें क्या बताता, तुम कैसे पागल बना गई l"
रहे जो जग से तन अकेला, मन चंचल ना होए,रहे जो तन, तन का मेला,जुबां ना आपा खोए l
"मेरा दिल मोह्हबत में तुमको, कहाँ पाना चाहता है,बना के खुदा तुम्हें ,दिल मीरा हो जाना चाहता है l"
नया सवेरा है नयी सुबह है…
नए दिन की उमंग बहुत है
खोल दो आँखें अब तुम भी जल्दी से …
बिन तेरे हर लम्हा मुश्किल है
Good Morning Sweetu