मेरा दिल ...तो तुम्हारे शहर के नाम से ही धड़कने लगता है।
वक़्त मिले तो मेरे घर तक चले आना कभी,तेरी खुश्बू के मोहताज़ मेरे गुलदस्ते आज भी हैं.
"तुमसे हुई बातें,मैं दोबारा खुद से कर जाता हूँ,फिर वही बात मैं कागज़ पे लिख जाता हूँ l"
मेरे सपनों को तोड़ने को,नींद मुझसे लड़ती रही lमुझे भी जिद थी, जितने की,मैं एक पल भी सोया नहीं l
"किताबों के बीच आज भी,उसके ख़त छुपा रखे है,आज भी हर शब्द में, तेरी मौजूदगी नज़र आती है l"
उसके होके हम,उससे जुदा हो जायेंगे,यूँ हम एक दिन मोह्हबत से,खफा हो जायेंगे l