अमीरों ने बनाई ऐसी दवाई,
जो चुरा लेती है मेरे मेहनत की सारी कमाई.
पहली मोहब्बत थी और हम दोनों ही बेबस,वो ज़ुल्फ़ें सँभालते रहे और मैं खुद को।
होता हूँ अकेला तो खुद के पास होता हूँ,कहाँ खो गया हूँ मैं भीड़ में ये सोचता हूँ l
मंजर भी बेनूर था और
फिजायें भी बेरंग थीं
बस फिर तुम याद आये
और मौसम सुहाना हो गया
"कितने बंधनों में बँधी है, तुमसे ये मोह्हबत मेरी,याद कर सकते है, पर खबर नहीं ले सकते तेरी l"
इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के