पहली मोहब्बत थी और हम दोनों ही बेबस,वो ज़ुल्फ़ें सँभालते रहे और मैं खुद को।
होता हूँ अकेला तो खुद के पास होता हूँ,कहाँ खो गया हूँ मैं भीड़ में ये सोचता हूँ l
मंजर भी बेनूर था और
फिजायें भी बेरंग थीं
बस फिर तुम याद आये
और मौसम सुहाना हो गया
"कितने बंधनों में बँधी है, तुमसे ये मोह्हबत मेरी,याद कर सकते है, पर खबर नहीं ले सकते तेरी l"
“उसकी याद हमें बेचैन बना जाती हैं,
हर जगह हमें उसकी सूरत नज़र आती हैं,
कैसा हाल किया हैं मेरा आपके प्यार ने,
नींद भी आती हैं तो आँखे बुरा मान जाती हैं.”
प्यार मोहब्बत तो सभी करते हैं,
दर्द-ए -जुदाई से सभी डरते हैं,
हम न तुमसे प्यार करते हैं ना ही मोहब्बत,
हम तो बस तुम्हारी एक मुस्कराहट के लिए तरसते हैं।