तु मिल गई है तो मुझ पे नाराज है खुदा,
कहता है की तु अब कुछ माँगता नहीं है
वो मिलते है,तो आँखों में बस जाते है,चेहरे पे आते उनके बालो में,हम उलझ जाते है lकैसे कहे कितनी मोह्हबत है,लफ्ज़ कम पड़ जाते है l
नज़र मिले तो नाईट कर्फ्यू लग जाये,वो मिले तो पूरा लॉकडाउन हो जाये,हवा में जैसे फैल रहा जहर कोरोना का,इससे अच्छा तो मोह्हबत से ही ग्रस्त हो जाये l
दुनियाँ बदलने की ख़्वाहिश थी,
तुम्हारी मोह्हबत में,
ना जाने खुद कितना बदल गये l❤
खिड़की से झांकता हूँ मै, सबसे नज़र बचा कर
बेचैन हो रहा हूँ, क्यों घर की छत पे आ कर
क्या ढूँढता हूँ, जाने क्या चीज खो गई है,
इन्सान हूँ, शायद मोहब्बत हमको भी हो गई।
तेरे रुखसार पर ढले हैं
मेरी शाम के किस्से,
खामोशी से माँगी हुई
मोहब्बत की दुआ हो तुम।