नशा था उनके प्यार का जिसमें हम
खो गए हमें भी नहीं पता चला कि कब
हम उनके हो गए.!
सिर्फ गुलाब देने से अगर मोहब्बत हो जाती
तो माली सारे शहर का महबूब बन जाता
इक ऐसा दौर भी देखा है मैंनेकि जब खुशियाँ मुझे भी ढूँढती थीं |
लौट आयेंगी खुशियाँ, अभी गमों का शोर है
संभलकर रहो यारो ये इम्तिहानों का दौर है।