"उसकी हंसी के लिए तो हम जान दे दे अपनी बस शर्त है,
उनके आँखों में आंसू नहीं आना चाहिए। "
"कल रात बड़ी देर तक जागी थी आँखें,
ना जाने क्या समेट लेने की चाहत थी,
बार -बार खुलती, जाने क्या ढूंढ़ती थी आंखे,
क्या किसी परी के उतर आने की आहट थी l"
कैद खानें हैं... बिन सलाखों के,कुछ यूँ चर्चे हैं तुम्हारी आँखों के।
कैद खानें हैं... बिन सलाखों के,
कुछ यूँ चर्चे हैं तुम्हारी आँखों के।
जो उनकी आँखों से बयान होते हैं ,वो लफ्ज शायरी में कहाँ होते हैं.
जो उनकी आँखों से बयान होते हैं ,
वो लफ्ज शायरी में कहाँ होते हैं.
न जाने क्या है किसी की उदास आँखों मैं
वो मुंह छुपा के भी जाए तो बेवफ़ा न लगे
उसकी आँखें सवाल करती हैंमेरी हिम्मत जवाब देती है
उसकी आँखें सवाल करती हैं
मेरी हिम्मत जवाब देती है