खुद से खुद को खोने लगा हूँमुझे लगता है मै पागल होने लगा हूँबिना वजह हँसते हँसते रोने लगा हूँतेरे जाने के बाद से ही पागल होने लगा हूँ
आदत डाल कर अब ना जाओ दूर तुमदिल उदास है बहुत इसे संभाल लो तुमतेरे बिना जीने के लिए मान नहीं रहा मुझसेतेरे बिना मर जायेगा यह बात जान लो तुम
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला
बस ये हुआ कि उस ने तकल्लुफ़ से बात की
और हम ने रोते रोते दुपट्टे भिगो लिए
कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें
उदास होने का कोई सबब नहीं होता