जन्नत की आरजू में सब हज को चले गये,
हमने भी मोहब्बत से अपनी माँ को देख लिया!
हाय! अर्ज़े-आरज़ू पर कह गए हैं ‘वाह’ वो,
अपने शायर होने पर पछता रहे हैं हम बहुत!
आरजू तेरी बरक़रार रहे…
दिल का क्या है रहे ना रहे!
आपसे मिले न थे तो कोई आरजू न थी
देखा आपको तो आपके तलबगार हो गये