खेलती है ज़िन्दगी से मौत की है ये अदा,
मौत के आगोश में है ज़िन्दगी रहती सदा!
अदा से देख लो
जाता रहे गिला दिल का
बस एक निगाह में ठहरा है
फैसला दिल का …..!!
Uski ye masoom ada mujhko behad bhati hai,Wo mujhse naraz hotoh gussa sabko dikhati hai.
Uski ye masoom ada mujhko behad bhati hai,
Wo mujhse naraz hotoh gussa sabko dikhati hai.
कुछ इस अदा से आज वो पहलूनशी रहे,
जब तक हमारे पास रहे, हम नहीं रहे…!!
अभी अभी तो रखा है जवानी में कदम उसने,उसकी अंगड़ाई में भी अदा होना लाजमी है.
दर्द की भी अपनी एक अदा है,ये तो सहने वालों पर ही फ़िदा है…