गुज़रा मिरे क़रीब से वो इस अदा के साथ,
रस्ते को छू के जिस तरह रस्ता गुज़र गया!
कुछ इस अदा से आज वो पहलूनशी रहे,
जब तक हमारे पास रहे, हम नहीं रहे…!!
कोई तो किश्त है जो अदा नहीं है
सांस बाकी है और हवा नहीं है,
नसीहतें, सलाहें, हिदायतें, मशवरें
तमाम पर्चे पर हैं, पर दवा नहीं है!