वो रोज़ देखता है डूबे हुए सूरज को फ़राज़
काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता.
क्यों उलझता रहता है तू लोगों से फ़राज़,जरूरी तो नहीं वो चेहरा सभी को प्यारा लगे।
बच न सका ख़ुदा भी मुहब्बत के तकाज़ों से फ़राज़
एक महबूब की खातिर सारा जहाँ बना डाला.
एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़
मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है.
ये साल भी उदासियाँ दे कर चला गया,
तुमसे मिले बगैर दिसंबर चला गया,
आज एक और बरस बीत गया उसके बगैर,
जिसके होते हुए होते थे जमाने मेरे।
New Year Sad Shayari 2021