वक्त, ऐतबार और इज्जत ये ऐसे परिंदे हैं,
जो एक बार उड़ जाए तो वापस नहीं आते।
आप का एतबार कौन करे,
रोज़ का इंतिज़ार कौन करे!
बड़े मशहुर होंगे आप पर ऐतबार नही हैं,
ये हमारा दिल है जनाब कोई खैरात नहीं है।
तेरी चाहत हमें बरसों से थीं
तुझसे कभी बेरुखी ना थीं
ऐतबार था तेरे हर वादे पर
तेरे वादों में सच्चाई ना थी
हर एक शख्स के चेहरे पर हैं नकाब
हर नक़ाब के पीछे एक मुस्कान
हर मुस्कान के पीछे एक राज
ऐसे में क्यों ना हो प्यार पर ऐतबार