युं नज़र से बात की
और दिल चुरा ले गये…..
हम तो अजनबी समझते थे आपको
आप तो हम को अपना बना गये….
लगने लगते है अपने भी पराये
और एक अजनबी पर ऐतवार हो जाता है
कोई अजनबी ख़ास हो रहा है…
लगता है…. फिर प्यार हो रहा है
उस मोड़ से शुरू करनी है फिर से जिंदगी,
जहाँ सारा शहर अपना था और तुम अजनबी…
ये किस तरह की ज़िद दिल मुझ से करने लगा, जिसे मैंने भूलना चाहा उसे वो याद करने लगा .
मंजिल का नाराज होना भी जायज था… हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे…!