मैं उन पन्नों में अहसास लिखते रहा ,
वो उन पन्नों में अल्फ़ाज़ पढ़ते रहे…
अल्फाज़ों में जो हम बयां करना छोड़ दिये…
खामोशियों को तो जैसे वो समझना ही छोड़ दिये!
कागज पर गम को उतारने के अंदाज ना होते…
मर ही गये होते अगर शायरी के अल्फाज ना होते…
जिसके होने से मै खुद को मुकम्मल मानता हूं,मै ख़ुदा से पहले मेरी मां को जानता हूं।❤️❤️
जिसके होने से मै खुद को मुकम्मल मानता हूं,
मै ख़ुदा से पहले मेरी मां को जानता हूं।❤️❤️
कुछ उसे भी दूरियाँ पसंद थीं ,
और कुछ मैंने भी वक़्त मांगना छोड़ दिया !
जवाब रखे रखे सवाल हो गए,अब तो खुद से मिले कई साल हो गए !!🍂🍁
जवाब रखे रखे सवाल हो गए,
अब तो खुद से मिले कई साल हो गए !!🍂🍁