अल्फाज़ों में जो हम बयां करना छोड़ दिये…
खामोशियों को तो जैसे वो समझना ही छोड़ दिये!
लाज़मी नही है कि हर किसी को मौत छू कर निकले !!
किसी किसी को छू कर जिंदगी भी निकल जाती है !!
इश्क के भी अलग ही फसाने हैं !!
जो हमारे नही हैं हम उनके ही दीवाने हैं !!