अब तो खुद को भी निखारा नहीं जाता मुझसे,
वे भी क्या दिन थे कि तुमको भी संवारा हमने।
अब नींद से कहो हम से सुलह कर ले फ़राज़,
वो दौर चला गया जिसके लिए हम जागा करते थे।
कुछ तुम को भी है अज़ीज़ अपने सभी उसूल,कुछ हम भी इत्तफाक से ज़िद के मरीज़ है
"कभी मेरे जाने पे लड़ती है वोकभी खुद तन्हा छोड़ जाती है,
कहानी खत्म होती है,
मरती नहीं है,
रह जाती है हमेशा,
हर किसी के दिल में l
"तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ,
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं, लेकिन
तुम्हीं को भूलना सबसे ज़रूरी है, समझता हूँ...!”❤️