आईने में झाँक के,क्यों परेशान हो,देखो मेरी तरफ,उसी निगाह से,मुझमें मुझ से जादा,तुम्हीं तो हो...
खबर हो या कबर
खोदते अपने ही हैं
अपने हर इक लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा,उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा…!
यहां तो लोग अपनी गलती नहीं मानतेफिर किसी को अपना कैसे मानेंगे
यहां तो लोग अपनी गलती नहीं मानते
फिर किसी को अपना कैसे मानेंगे
वक्त बताता है कोन कब कितना अपना हैबातें तो सब अच्छी कर लेते हैं
वक्त बताता है कोन कब कितना अपना है
बातें तो सब अच्छी कर लेते हैं
वो चाय ही क्या जो जीभ ना जलाएंऔर वो इश्क ही क्या जो दिल ना जलाएं।
वो चाय ही क्या जो जीभ ना जलाएं
और वो इश्क ही क्या जो दिल ना जलाएं।