अरमान सभी दफ़न
सीने में साहिब कर लेता है,
हर सितम सहता है बाप बच्चों
की ख़ुशी के लिए !!
अरमां तमाम उम्र के सीने में हैं दफ़न….
हम चलते फिरते लोग मज़ारों से कम नहीं!
आरज़ू,
अरमान, इश्क़,
तमन्ना, वफ़ा, मोहब्बत,
चीज़ें तो अच्छी है पर
दाम बहुत है !!
अभी अरमान कुछ बाक़ी हैं
दिल में मुझे फिर आज़माया जा रहा है!
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले.
रखते है हम सफर में सामान बहुत,
जरा सी जिन्दगी और अरमान बहुत.