Mahakaal ke Nashe mein Chur rahata hun
Jai Mahakaal
Attitude Shayari
चाय की शौकीन हूं जनाब
उबाल तो वाजिब है मिज़ाज मैं...
अक्सर औकात की बात वही किया करते है,
जो कायर हमेशा झुंड में चला करते हैं
अपने मेयार से नीचे तो मैं आने से रहा
शेर भूखा हो मगर घास तो खाने से रहा
कर सको तो मेरी चाहत का यकीन कर लेना
अब तुम्हें चीर के मैं दिल तो दिखाने से रहा
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ