बर्बाद बस्तियों में किसे ढूँढते हो तुम,
उजड़े हुए लोगों के ठिकाने नहीं होते!
कर दी ना बर्बाद फिर अच्छी खासी शाम,
कमज़र्फों के हाथ में और दीजिये जाम..!
आधे तेरी याद के, आधे फरियाद के,
लम्हे जितने गुज़रे सारे बर्बाद थे…