बारिश और मोहब्बत दोनों ही, यादगार होते है
बारिश में जिस्म, भीगता है और मोहबत में आंखे..!!
तेरे प्रेम की बारिश हो,
मैं जलमगन हो जाऊं,
तुम घटा बन चली आओ,
मैं बादल बन जाऊं !
मुझे मिलने मेरी औकात आयी है ,
मकान कच्चा है और बरसात आई है।
वो मेरे रु-बा-रु आया भी तो बरसात के मौसम में,
मेरे आँसू बह रहे थे और वो बरसात समझ बैठा।
तुम्हें बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम,
तुम्हें हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम,
तुम्हें बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम,
तुम्हें सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।
"सारी कायनात उदास सी लगती है,
मेरी हमसफऱ मुझसे खफ़ा जो रहती है,
कोई इशारा हो कोई समझाये उन्हें,
बरसती नहीं बूँद,जमीं इंतजार में फटती है l "