तेरी बेखुदी में लाखो पैगाम लिखते है,
तेरे गम में जो गुजरी बात तमाम लिखते हैं,
अब तो पागल हो गई वो कलम,
जिस से हम तेरा नाम लिखते है…
बेखुदी कि जिन्दगी जिया नही करते,
जाम दूसरो का छीन कर पिया नही करते,
उनको मुहब्बत है तो आ के इजहार करे,
पीछा हम भी किसी का किया नही करते…
आपकी याद आती रही रात भर,
बेखुदी में हंसाती रही रात भर,
चांद मेरे संग सफर में ही रहा,
चांदनी गुनगुनाती रही रात भर 🥰
बेखुदी में बस एक इरादा कर लिया इस दिल की चाहत को हद से ज्यादा कर लिया जानते थे वो इसे निभा न सकेंगे पर उन्होंने मजाक और हमने वादा कर लिया।
तेरी बेखुदी में लाखो पैगाम लिखते है, तेरे गम में जो गुजरी बातें तमाम लिखते है, अब तो पागल हो गई वो कलम, जिस से हम तेरा नाम लिखते है!!
वो रो रो कर कहती रही मुझे नफरत है तुमसे, मगर एक सवाल आज भी परेशान किये हुए है, की अगर नफरत ही थी तो वो इतना रोई क्यों …