पाने की बेकरारी
और खोने की दहशत,
इन्हीं बेचैनियों का नाम
है मोहब्बत !!
मेरी कश्मकश का कैसे लफ्ज़ों में इज़हार हो,
मेरी बेक़रारी जाने वो, जो खुद भी बेक़रार हो!
जुम्बिश लबों की तेरी दस्तक थी दिल पे मेरे,
उफ़्फ़ बेक़रारी-ए-दिल था इंतज़ार एक हाँ का!
“बूंद बूंद बेकरारी हमारीकतरा कतरा मोहब्बत तुम्हारी”
इश्क़ करने से पहले~~आ बैठ , फैसला कर लें ~
सुकूँ किसके हिस्से होगा ~~ बेक़रारी किसके हिस्से