प्यार किया था तो प्यार का अंजाम कहाँ मालूम था,
वफ़ा के बदले मिलेगी बेवफाई कहाँ मालूम था,
सोचा था तैर के पार कर लेंगे प्यार के दरिया को,
पर बीच दरिया मिल जायेगा भंवर कहाँ मालूम था..
नफरत को मोहब्बत की आँखों में देखा,
बेरुखी को उनकी अदाओं में देखा,
आँखें नम हुईं और मैं रो पड़ा…
जब अपने को गैरों की बाहों में देखा।
बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ
कौन कहता है
सिर्फ नफरतों में ही दर्द है
कभी कभी बेपनाह मोहब्बत भी
बहुत दर्द देती है..
मेरी रूह में न समाती तो भूल जाता तुम्हे,तुम इतना पास न आती तो भूल जाता तुम्हे,यह कहते हुए मेरा ताल्लुक नहीं तुमसे कोई,आँखों में आंसू न आते तो भूल जाता तुम्हे|